विद्युत विभाग: प्रबंधन नाकामियों के रथ पर सवार: 80 लाख वेतन से कटौती का फरमान: टकराव की बनी स्थिति: ऐसा पहली बार हुआ है 21-22 सालों में
वाराणसी 11 जून: राज्य विद्युत परिषद के विघटन के बाद वर्ष 2000 के उपरान्त बने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का वित्तीय घाटा 22 वर्षो में लगभग 77 करोड़ से 1 लाख करोड़ को पार कर चुका है।
उल्लेखनीय है की वर्ष-2000 के बाद से कारपोरेशन के शीर्ष प्रबंधन पर ब्यूरोक्रेसी का कब्ज़ा बना रहा है मेमोरेंडम ऑफ ऑर्टिकल के विपरीत प्रदेश की सरकारों ने कारपोरेशन के अध्यक्ष और निगमो के प्रबंध निदेशको के पदों पर अवैध रूप से नियुक्तियों के माध्यम से विद्युत विभाग पर राज किया औऱ विभाग को राजनीतिक एजेंडों, लाभों औऱ मनमानी पॉलिसियों के तहत विभाग को चलाते रहे है जो आज भी बदस्तूर जारी है।
ब्यूरोक्रेसी की नाकामियो का ठीकरा बिजलिकर्मियो पर
22 वर्षो से विभाग को चलाते हुए ब्यूरोक्रेसी द्वारा विभाग के लिए तमाम पॉलिसियों को लागू किया वे चाहे उपभोक्ता के लिए,कर्मचारियो के लिए हो या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ाने के लिए हो। ऐसी तमाम योजनाओं की कामयाबियों का श्रेय तो स्वम् लेते गए औऱ सरकारों द्वारा उपकृत होते रहे परन्तु योजनाओं से विभाग को हो रही हानि औऱ नुकशान का जिम्मेदारी बिजलिकर्मियो पर डाल दिया जाता रहा, जिसके नाम पर बिजलिकर्मियो को निकम्मा, भ्रष्ट औऱ काम न करने जैसी उपाधियों से नवाजा गया और दंडनात्मक कार्यवाही के साथ उनके सेवा लाभों की कटौती करते हुए उत्पीड़न किया जाने लगा।
अपनी नाकामियो को छुपाते हुए औऱ विभाग को रसातल से धरातल की ओर बढ़ते कदम से शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन उल्टे प्रभावों को दरकिनार कर तानाशाही फ़रमान जारी करता जा रहा है। जिसका खामियाजा बिजलीकर्मी औऱ विभाग को भुगतना पड़ रहा है।
#सनद रहे ऊर्जा विभाग की बर्बादी,सरकारी दख़ल औऱ अध्यक्ष/प्रबंध निदेशको की अवैध नियुक्तियों के विरुद्ध उपभोक्त संरक्षण उत्थान समिति ने दो-दो PIL मा०उच्चन्यायालय में दाख़िल की है जिस पर विभाग द्वारा आज तक काउंटर एफिडेविट ही दाख़िल नही कर पाए है।
उत्पीड़न करने में चेयरमैन सबसे आगे निकले
पावर कारपोरेशन में अवैध रूप से नियुक्त ब्यूरोक्रेसी के द्वारा बिजलिकर्मियो बीच इन 22 वर्षो में अनेको बार मतभेद सामने आये औऱ बिजलिकर्मियो के विरोध भी होते रहे, परंतु वर्तमान में जो टकराव बिजलिकर्मियो औऱ ऊर्जा के शीर्ष प्रबंधन से दिख रहा है वो अध्यक्ष की कुर्शी पर IAS एम०देवराज के बनने के बाद चरम पर पहुँच चुका है। बिजलिकर्मियो से वर्तमान के चेयरमैन के मतभेदों के कारण बिजलिकर्मियो पर उत्पीड़न की कार्यवाहियों का होना आये दिन देखा जा सकता है। चेयरमैन विभाग की दुर्दशा की जिम्मेदारी बिजलिकर्मियो पर डाल कर उनके विरुद्ध मनमाने फ़रमान जारी कर दिए गए वही बिजलिकर्मियो का कहना है की बिजली विभाग की दुर्दशा के जिम्मेदार IAS है जिनकी नाकामियो का परिणाम है।
जिसकी वजह से बिजली विभाग में राज्य विद्युत परिषद की बहाली की मांग समय समय पर उठती रही हैं।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के बाद चेयरमैन ने लिया एक औऱ तानाशाही फैसला
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा ट्रांसफार्मर के रख रखाव औऱ उनकी ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्तता दर के आकड़ो के साथ देश की वितरण कंपनीनियो की सूची जारी की। जिसमे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम देश में पांचवें स्थान पर है। जिसके बाद से चेयरमैन ने ट्रांसफॉर्मर पर आने वाले खर्चो को बिजलिकर्मियो के वेतन से वसूलने के निर्णय लिया है।
80 लाख वसूलने के फ़रमान हुआ जारी
पूर्वान्चल निगम में 1214 ट्रांसफार्मर की मरम्मत में आने वाले खर्चे कुल 2.16 करोड़ में से 80 लाख जिम्मेदार बिजलिकर्मियो से वसूलने का फरमान जारी किया है। जिम्मेदार बिजलिकर्मियो की सूची बना कर आदेश जारी किये जाने लगे है।
मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा बने बिजलिकर्मियो के देवराज,निकले एक कदम आगे: जारी करते तानाशाही फ़रमान पर फ़रमान
वाराणसी के मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा एक कदम आगे बढ़ कर बिजली व्यवस्था की नाकामियो की जिम्मेदारियों ब्यूरोक्रेसी औऱ उनकी पॉलिसियों को न देकर क्षेत्र के बिजलिकर्मियो को जिम्मेदार मान कर चैयरमैन बन कर उनके वेतन के प्रति माह 05% की कटौती का फरमान जारी कर दिया। इस कार्यवाही से एक बात तो साफ है कि चेयरमैन नापाक मंसूबे को वाराणसी के मुख्यअभियन्ता पूर्ण रूप से अमल में लाते नजर आ रहे हैं।
जिसके विरोध वाराणसी क्षेत्र के बिजलिकर्मियो में देखा जा रहा है अवगत रहे कुछ दिनों पहले भी मुख्य अभियंता ने संविदाकर्मियों को ट्रांसफार्मर के नीचे साफ-सफाई करने, न करने पर नौकरी से निकाले जाने का फरमान जारी किया है।
ऐसा पहली बार हुआ है 21-22 सालों में
वही पूर्वान्चल के प्रबंध निदेशक भी ट्रांसफॉर्मर की खराब सेहत का जिम्मेदार बिजलिकर्मियो को मानते है।
बिजलिकर्मियो ने कहा की प्रबंधन नही देता मेंटेनेंस का सामान
वहीँ बिजलिकर्मियो का कहना है कि ट्रांसफार्मर के खराब होने की समस्त जिम्मेदारी बिजलिकर्मियो पर डाल कर अपनी नाकामियो पर पर्दा डालने की कोशिश है उनका कहना है की ट्रांसफार्मर के मेंटेनेंस का को समान बिजलिकर्मियो को नही दिया जाता है। इस मनमाने फ़रमान औऱ उत्पीड़न से बिजलिकर्मियो में आक्रोश फैल गया।
संगठनो औऱ बिजलिकर्मियो में भारी आक्रोश
संघर्ष समिति के घटक संगठनो ने मुख्य अभियंता के तानाशाही फ़रमान का विरोध किया और तत्काल आदेश वापस लेने की मांग की हैं अन्यथा की स्थति में वाराणासी क्षेत्र में बड़ा आंदोलन किया जायेग औऱ आंदोलन से होने वाली अव्यवस्था की सारी जिम्मेदार मुख्य अभियंता की होगी।