विद्युत विभाग: संविदाकर्मियों के जीवन के साथ खिलवाड़: नौकरी पर है या नही असमंजस बरक़रार,कानपुर की घटना से खुली पोल
वाराणसी 27 अप्रैल: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में नियमित बिजलीकर्मियो के टोटा होने औऱ रिक्तियों पर नियुक्ति न होने से मैन पावर की कमी की मार झेल रहे वितरण क्षेत्रों में फील्ड में बिजली व्यवस्था की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से निविदा कर्मियो को लगाया गया है जिसके जरिये उपकेंद्र संचालक/कुशल श्रमिक/श्रमिकों की भरपाई की गई । बिजली व्यवस्था की जिम्मेदारी इन्ही निविदकर्मियो के भरोसे चल रही है।
बताये चले कि ठेकदारों के माध्यम से लगे कर्मचारियो को फर्म के द्वारा ही उनकी सेवा सत्यता को प्रमाणित किया जा सकता है फर्मो के द्वारा उन्हें मांग के अनुसार भर्ती कर उसकी सूची प्रबंधन को सौप दी जाती है और पहचान पत्र दिए जाते है। फेर्मो के द्वारा उन कर्मियो का इंसोरेंस/ई०पी०फ० जमा किया जाता है बिजली विभाग सिर्फ उनसे कार्य लेता है और उनकी अटेंडेंस फार्म को उपलब्ध कराता है।
निविदा कर्मियो के साथ बिजली व्यवस्था बनाये रखने के दौरान कोई घातक/अघातक दुर्घटना होती है तो फेर्मो के द्वारा उनको मुआवज़ा दिया जाता है।
किसी निविदा कर्मी पर दंडनात्मक कार्यवाही विभाग की अनुसंशा पर फर्मो द्वारा किया जाता हैं।
विभाग की लापरवाही या मजबूरी निविदकर्मियो पर भारी
हड़ताल के दौरान औऱ उसके बाद सामूहिक रूप से बर्खास्त संविदाकर्मियों की सूची फर्मो के द्वारा डिस्कॉम प्रबंधन को सौंपी गई है पर बिजली व्यवस्था के लिए वितरण खंडों में उनसे आज भी कार्य लिया जा रहा है। ऐसे बहुत सारे निविदा कर्मी है जिनको यह ही नही पता की वे बर्खास्त है बिजली व्यवस्था बनाये रखने के लिए उन्हें या तो बताया नही गया है या अधिकारियों को उनकी बर्खस्तगी का पता नही है।
वर्तमान में बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्मो को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया की अमुक अमुक कर्मी काम कर रहे हैं उनपर हड़ताल के दौरान की गई कार्यवाही को निरस्त समझ जाएं।
हडताल से पहले जो निविदा कर्मी काम कर रहे थे वे ही अब हड़ताल के बाद भी काम कर रहे है। इन्ही में से हड़ताल के दौरान बड़ी संख्याओं में बर्खास्त किये गए थे।
खबर यह भी है कि सभी डिस्कॉमो से लगभग हजारों की संख्या में बर्खास्त किये गए निविदा कर्मियो की सूची फर्मो से लेकर UPPCL, मुख्यालय को सौंपी गई है जिसको संकलित कर ऊर्जा विभाग ने लगभग 6-7 हजार निविदकर्मियो की सूची माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल की।
अब सवाल ये उठता हैं की क्या इन 6-7हजार निविदा कर्मियों की जगह कर्मी फर्मो के द्वारा विभाग को उपलब्ध कराया है या नही।
कराया गया है तो सेवा से बर्खास्त कर्मियों से काम क्यो लिया जा रहा हैं जिसके ताजा ताजा मामला केस्को,कानपुर में देखने को मिला है।
नही कराया गया है तो 6-7 हज़ार निविदकर्मियो की बर्खस्तगी के बाद बिजली व्यवस्था सामान्य होना ये प्रमाणित करती हैं की निविदकर्मियो को अंधेरे में रखा गया औऱ उनके जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है।
माननीय न्यायालय में दाखिल सूची में वर्णित एक भी कर्मचारी अगर काम कर रहा हैं तो उसके साथ घटने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन होगा।
उनके वेतन का आधार क्या होगा।
सब गोलमाल है
कौन निविदा कर्मी विभाग में नियमानुसार कार्यरत है इसकी जानकारी अब समस्त निविदकर्मियो को स्वम् कर लेनी चाहिए अन्यथा वो बाहरी व्यक्ति क़रार दे कर घटनाओं से विभाग पल्ला झाड़ लेगा।