विद्युत विभाग:UPPCL की बैठक में पहलीबार पुरे प्रदेश से इंजीनियर पहुंचे झोला ले कर, जाने पुरा मामला
वाराणसी 10 अप्रैल :राज्य विद्युत परिषद से उ०प्र० पावर कारपोरेशन बनने के बाद व्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति होने के कारण जहा विभाग को फायदा होना चाहिए था वही मामला ठीक विपरीत चला लगातार विभागीय घाटा तेजी से बढ़ा और विभागीय गबन की कहानिया सुर्खियों में आयी और थोड़े समय दफन हो गयी पर ब्यूरोक्रेट्स के टेकिनकल विभाग को चलाने की कहानिया भी अजीबो गरीब देखी और सुनी गयी इसी क्रम में इस बार मासिक बैठक UPPCL द्वारा आयोजित हुई और हरबार की तरह इंजियर परम्परागत तरीके से आवश्यक दिशा निर्देश सुनकर अपने शीर्ष प्रबंधन को यस सर, जी सर में समझाने की परम्परा निर्वहन करते नजर आये वैसे नतीजा डॉक के तीन पात ही होना है।
जाने झोला लेकर क्यू पहुंचे इंजीनियर
आश्चर्य हो रहा होगा की आखिर इंजिनियरो को शक्तिभवन की बैठक में झोला लेकर क्यू बुलाया गया दरअसल UPPCL के शीर्ष प्रबंधन ने एक नयी परम्परा क़ायम करते हुए वर्कशाप डिवीजन के अधिकारियो को ट्रांसफार्मर मरम्मत में लगने वाले सामानो की परीक्षण रिपोर्ट लखनऊ से लेने की नयी परम्परा के तहत पुरे प्रदेश के वर्कशाप में तैनात इंजिनियर झोले में सामान लेकर पहुंचे थे आश्चर्य इस बात है कि ज़ब सभी कम्पनियो में क्वालिटी सेल की बिंग बनी है और वह सामानो की सप्लाई के पूर्व टेंडरर के यहा जाकर चेक करती है और विभाग के इस काम पर करोड़ो खर्च होते है उसके बावजूद उन सामग्रियो का लखनऊ में परीक्षण आखिर क्यों? यह बात कल से शक्तिभवन पर चर्चा का विषय बना हुआ है,
वैसे विभागीय सूत्रों की माने तो समूचे प्रदेश आए झोलाछाप समग्रीयो को जमा कराकर जांच कराई जारही है और झोला लेकर पहुंचने वाले अधिकारी जांच की क्वालिटी के अनुसार मलाई यानी चढ़ावा देकर अपनी परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने में सफलता हासिल कर रहे है।
वैसे देखना दिलचस्प होगा की इतनी बारीकी से परीक्षण हुई सामग्री मरम्त ट्रांसफार्मर में लगने के बाद सफल होती है या टाय टाय फीस होती है यह तो आने वाले कुछ ही समय में सामने आते दिखने लगेगा।
वैसे पूर्वान्चल निगम के 10 करोड़ के चर्चित गबन की चर्चा बैठक में नही सुनी गई,वही दूसरी तरफ 10 करोड़ के डाका पड़ने के बाद चोरों ने भी हाथ साफ करना सुरू कर दिया।