एक झलक

शङ्कराचार्य जी ने जारी किया समस्त विश्व के सनातनियों के नाम सन्देश,सनातनी पंचांग व शङ्कराचार्य दिनदर्शिका का हुआ लोकार्पण

वाराणसी 9 अप्रैल :सं. 2081 वि. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 9 अप्रैल 2024 आज नव संवत्सर के अवसर काशी के शङ्कराचार्य घाट स्थित श्रीविद्यामठ में परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती महाराज ने सनातनी पञ्चाङ्ग व शङ्कराचार्य दिनदर्शिका का लोकार्पण किया तथा इस अवसर पर परमधर्माधीश शङ्कराचार्य जी महाराज ने विश्व के समस्त सनातनियों के नाम अपना सन्देश जारी किया।

परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य
स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘१००८’ ने विक्रम संवत् 2081 चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा नव संवत्सर को सम्पूर्ण विश्व के सनातनियों को सन्देश जारी करते हुए कहा कि काल अनन्त है। उसकी कलना बस स्वयं को सन्तोष देना है। अपने सन्तोष के लिए हमने काल के काल्पनिक विभाजन किए हैं। इकाइयां बनाई हैं। हम गिनकर बताते हैं कि हम कितने पुराने हैं। हालाँकि हमारे दर्शन की दृष्टि में नवीनता और पुरातनता जैसी कोई वस्तु वास्तविक नहीं है। वर्तमान संसार में अपने को पुरातन कहकर अपने को श्रेष्ठ संपादित करने वालों को हम बताना चाहते हैं कि यह संवत्सर जिसका आज शुभारम्भ हो रहा है वह वर्तमान सृष्टि के 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 126वां है। इतने दिनों से हम प्रतिदिन अपनी सन्ध्या और पूजा के सङ्कल्प में कालगणना करते आ रहे हैं। दिन के हिसाब से गिनें तो 7 खरब 4 अरब 11 करोड़ 86 लाख 45 हजार दिन होते हैं। इतनी पुरानी सभ्यता और संस्कृति का दावा भी हमारा है और इतिहास भूगोल भी हमारा ही है। इतने पुराने को मिलने वाली हर नवीनता बहुत ही आकर्षक होती है इसीलिए हमारा नव वर्ष हमें अपार हर्ष प्रदान करता है। आप सबको नव संवत्सर की शुभकामनाएँ।

इस संवत्सर का आरम्भ पिङ्गल नाम से होगा। 11 दिन बाद कालकृत आकर लगभग पूरे वर्ष रहेगा और अन्त में फाल्गुन मास की अमावस्या को सिद्धार्थ संवत् के रूप में परिवर्तित हो जाएगा । इस कालकृत संवत्सर को जो बार्हस्पत्य मान के अनुसार वर्तमान 60 संवत्सरों वाले चक्र में 52वां संवत्सर है; हमने इसे गौ संवत्सर के रूप में पहचानने और व्यवहार करने का आह्वान आप सबसे किया है। उद्देश्य है कि इसी संवत्सर में हम सनातनियों को एकजुट होकर गौ माता को राष्ट्र माता की पदवी पर बिठाते हुए उनकी हत्या को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में लाने वाला कानून बनवाना है और स्वयं के स्तर पर रामा गाय की डीएनए टेस्ट के द्वारा पहचान सुस्थिर कर सम्मानपूर्ण संरक्षण संवर्धन पर ध्यान देना है। विगत वर्ष के लिए हमने जो भी लक्ष्य निर्धारित किए थे उनमें से लगभग को कड़ी मेहनत करते हुए हमने प्राप्त किया है। अब इस कालकृत संवत्सर के लक्ष्य निम्न अनुसार निर्धारित करते हैं जिनके लिए हमको इस संवत्सर में लगभग 100 करोड़ की धनराशि जुटानी होगी और लगभग 4000 लोगों को काम पर लगाना होगा

हम चाहते हैं कि सनातनी जनता अपने धर्माचार्य के नेतृत्व में विश्वास करें और धर्म के मामलों में धर्माचार्यों की सलाह सुने और माने। आज हालात यह हो गए हैं कि यदि आपका शङ्कराचार्य मन्दिर के बारे में शास्त्र अनुसार भी कोई मत व्यक्त करता है अथवा गाय, गंगा या पाप-पुण्य के बारे में बताता है तो आपमें से ही बहुत लोग उसे यह सिखाने लगते हैं कि आप केवल मठ में पूजा-पाठ करिए। इन मुद्दों पर मत बोलिए। बोलने को राजनीति करना समझने लगते हैं। जब कभी आपका शङ्कराचार्य राजनीति की सर्वथा अनदेखी कर मठ में भजन-पूजन अध्ययन-अध्यापन करता है तब आप उसे ताना मारते हैं कि आप मठ से बाहर निकलिए और जब वह मठ से बाहर निकलकर आपके मुद्दों पर लड़ने की तैयारी करने लगता है तब आप उसे सहयोग-समर्थन तो करते नहीं, अपितु उसे अस्वीकार करने लगते हैं। जान लीजिए कि आप सनातनियों की यह प्रवृत्ति ही आपके पतन का कारण है। अन्यथा आप जिस देश में बहुसंख्यक हों उस देश में भी शासन-प्रशासन आपकी नहीं अपितु अल्पसंख्यकों की सुन रहा है और आप कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आपने अपने धर्माचार्य की उपेक्षा की है और आपके धर्माचार्य ने आपकी राजनीतिक शक्ति अर्थात् आपके मतदान को सनातन हित में प्रयोग में लाने की आपको प्रेरणा ही नहीं दी है।

यदि आपने देश के स्वतन्त्र होते ही इस बात का आग्रह रखा होता कि हम उसी को वोट देंगे जो प्राथमिकता के साथ गौ हत्या बन्दी का वचन देगा तो इस देश में गौ हत्या जैसा महापाप कब का बन्द हो चुका होता और आप करोड़ों सनातनी गौ हत्या के महापाप से पीड़ित होकर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कष्ट न भोगते। पर आपने यह नहीं सोचा और न किया। परिणामस्वरूप 75 साल की आजादी के बाद भी आप अपनी गौ माता को कानूनन बचा नहीं सके हैं। इसलिए हमारा ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शङ्कराचार्य के रूप में स्पष्ट निर्देश है कि आप किसी भी दशा में उन दलों को अपना मतदान मत करिए जो सत्ता में आकर गौ हत्या जैसे महापाप को बढ़ावा देते हैं अन्यथा आपको भी गौ हत्या का महापाप लगेगा क्योंकि गौ हत्या का समर्थन करने वाले का समर्थन भी, सहयोग भी हमें पापी बनाता है।

हमारे इस आह्वान को कुछ लोग बीजेपी
आदि के विरोध और कांग्रेस आदि के समर्थन के रूप में देख ले रहे हैं जो कि तथ्यविरुद्ध है। हम किसी भी राजनीतिक दल के न तो समर्थक हैं और न विरोधी पर गौ हत्या से दुःखी और अपने अनुयायियों पर निरन्तर चढ़ रहे गौ हत्या के महापाप और उस कारण उनके ऊपर कर्ज के बोझ के चढ़ने से तथा शारीरिक, मानसिक व्याधियों से पीड़ित होने और उनके यश, पराक्रम, सम्मान के कम होने से चिन्तित जरूर हैं और इसीलिए गौ हत्या विरोधी पार्टियों को ही वोट देने के लिए अपने सनातनी जनता को प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे पापमुक्त हों और सुख-शान्ति का तथा निश्चिन्त होकर जीवन व्यतीत कर सकें।

हम पूछना चाहते हैं कि जब हमने भारत के निर्वाचन आयोग में पञ्जीकृत हर राजनीतिक पार्टी को अवसर दिया था कि आगामी चुनाव के पहले वे घोषित करें कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो प्रथम कार्य गौ माता का करेंगे जिनमें से 63 पार्टियों ने शपथपूर्वक हमारी चाही गई घोषणा की तो फिर यह बड़ी पार्टियां जिनमें भाजपा और कांग्रेस आदि आते हैं उन्होंने इस तरह की घोषणा से क्यों परहेज किया? इसका सीधा सा मतलब है कि वे कहना चाहती हैं कि हम सत्ता में आए तो जैसे अभी तक गौ हत्या करते रहे वैसे ही गौ हत्या करते रहेंगे। क्या यह स्थिति स्वीकारयोग्य है? क्या इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को शङ्कराचार्य जी के द्वारा सामने रख दिए जाने पर भी इस पर उनकी चुप्पी उचित है? उनके इस व्यवहार से हम यह निष्कर्ष निकाल पा रहे कि यह यदि सत्ता में आए तो गौ हत्या जारी रहेगी जैसे कि 75 साल से अभी तक जारी रही है तो इसमें क्या गलत है? इसलिए इतना स्पष्ट सन्देश दे देने के बाद भी अगर आप इन पार्टियों से जुड़े रहना चाहते हैं तो आप जुड़े रहिए। लेकिन एक धर्माचार्य के रूप में, आपके गुरु के रूप में हमारा यह दायित्व है कि हम आपको समय पर आगाह कर दें कि आप अपने मतदान से गौ हत्या जैसे महापाप में पड रहे हैं जिससे नरकों की प्राप्ति होती है और जीवन दुःखमय बन जाता है। इसलिए आज नव संवत्सर, गौ संवत्सर घोषित करते हुए हम समस्त सनातनधर्मियों से यह अनुरोध करना चाहते हैं कि आप इस पार्टी उस पार्टी का भ्रम छोड़िए और गौ भक्त सनातनी पार्टियों को मजबूती दीजिए। अपना मतदान समझकर करें जिससे भारत अपनी प्राचीन गौरवमय स्थिति को पुनः प्राप्त कर सके। हमें विश्वास है कि यदि आपने दृढ़ता से इतना सन्देश दे दिया तो यह पार्टियाँ भी अपने आपको आप सनातनियों के अनुरूप बनाने में लग जाएँगे जिससे इनका भी लौकिक पारलौकिक सर्वाधिक अभ्युदय होगा और आप पापमुक्त होकर सुख-शान्ति का अनुभव करेंगे।

हम आपसे यह भी अनुरोध करना चाहेंगे कि आपके शङ्कराचार्य के रूप में आप समस्त सनातनधर्मियों के अभिभावक के रूप में हम आपकी हर धार्मिक समस्या के समाधान के लिए अपने आपको तैयार कर रहे हैं। इसके लिए पर्याप्त धन और जन की हमको आवश्यकता है। जो लोग धर्मकार्य में अपने आपको समर्पित करना चाहते हों, इस माध्यम से आजीविका और सम्मान अर्जित करना चाहते हों वह भी अपने आपको समर्पित करें और जो लोग अपना तन-मन न दे सकते हों वे धन के द्वारा अपने शङ्कराचार्य को पुष्ट बनाएं । अपने शङ्कराचार्य के कार्यालय को पुष्ट बनाएं जिससे आपके शङ्कराचार्य आपकी हर धार्मिक समस्या के समाधान के लिए आपके दरवाजे पर अपना सहयोग प्रस्तुत कर सकें। सरकारें भी आपके द्वारा दिए गए मतदान और टैक्स से ही बलवान होकर आपके कल्याण के कार्यक्रम बनाती हैं और उनको मूर्त रूप प्रदान कर पाती हैं। इसी तरह से आपकी धार्मिक समस्याओं के समाधान में आपका आचार्य तभी समर्थ हो सकेगा जब आपका उसको तन मन धन से पूर्ण समर्थन हो। इसलिए इस नव संवत्सर पर आप सब संकल्प लें कि हम किसी न किसी रूप में अपने आचार्य को अपना बल प्रदान करेंगे ताकि हमारी धार्मिक समस्याओं का निदान हमारा आचार्य निश्चिन्त होकर कर सके। आप सबको इस नव संवत्सर गौ संवत्सर की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए अपने आपको आपकी धार्मिक समस्याओं के समाधान के लिए हम प्रस्तुत कर रहे हैं।
नारायण-नारायण।

उक्त जानकारी देते हुए परमधर्माधीश शङ्कराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि नव संवत्सर की शुरुआत वैदिक विद्यार्थियों ने मङ्गलाचरण से किया। जिसके अनन्तर श्रीकृष्ण कुमार तिवारी ने साथी कलाकारों के साथ गणेश वन्दना की प्रस्तुति की। इसके पश्चात सुर्यार्घ्य दिया गया व वैदिक विद्यार्थियों ने सूर्य प्रणाम किया।जिसके अनन्तर परमधर्माधीश शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा लोकार्पित पञ्चाङ्ग के सम्पादक प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी ने नव संवत्सर का फल श्रवण कराया। क्रमशः ध्वजा पूजन, ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, राष्ट्रनदी गंगा गान, पथ संचलन हुआ। महेंद्र प्रसन्ना का साथी कलाकारों संग शहनाई वादन,भजन के बाद राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजन्मभूमि व राममन्दिर का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में कराने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता डा श्री पी.एन. मिश्रा जी उपस्थित थे।कार्यक्रम का सञ्चालन साध्वी पूर्णाम्बा दीदी जी ने किया। संयोजन देवी शारदाम्बा, ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द, ब्रह्मचारी परमात्मानन्द ने किया।

समस्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री: ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानन्द, डॉ गिरीश चन्द्र तिवारी, रवि त्रिवेदी, हजारी कीर्ति नारायण शुक्ला, हजारी सौरभ शुक्ला, अभय शंकर तिवारी, डॉ साकेत शुक्ला, रंजन शर्मा, शैलेन्द्र योगी, रमेश उपाध्याय, सतीश अग्रहरी, सुनील शुक्ला, संतोष चौबे, डा लता पाण्डेय, माधुरी पाण्डेय, चांदनी चौबे, आर्यन सुमन पाण्डेय, अमित तिवारी आदि लोग सम्मलित थे

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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