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विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को, इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और आरती

वाराणसी 16सितंबर : धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल श्राद्ध पक्ष के दौरान भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 17 सितंबर, शनिवार को है। विश्वकर्मा को देवशिल्पी भी कहा जाता है यानी देवताओं का कारीगर। विश्वकर्मा ने कई नगरों जैसे सोने की लंका, इंद्रप्रस्थ व द्वारिका का निर्माण किया है। देवताओं के अस्त्र-शस्त्र का निर्माण भी इन्होंने ही किया है।

पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर, शनिवार की श्रीवत्स, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और द्विपुष्कर नाम का शुभ योग रहेगा। इन्हीं शुभ योगों में विश्वकर्मा पूजा की जाएगी। इन शुभ योगों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा से आपको हर काम में सफलता मिल सकती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा मुख्य रूप से कारीगर जैसे बढ़ाई, मिस्त्री, लोहार आदि करते हैं। ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त-
सुबह 07.39 से 09.11 तक
– दोपहर 01.48 से 03.20 तक
– दोपहर 03.20 से 04.52 तक

इस विधि से करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

– 17 सितंबर की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद एक साफ स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
– इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और फूल माला चढ़ाएं। तिलक लगाएं व अन्य पूजन सामग्री एक-एक करके चढ़ाते जाएं।
– अपनी इच्छा अनुसार भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाएं और इसके बाद अपने औजारों और मशीनों की भी पूजा करें।
– मशीनों और औजारों पर तिलक लगाएं और भगवान विश्वकर्मा से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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