पूर्वांचल

सब्जी अनुसंधान केंद्र पर किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

रोहनिया 21नवम्बर :भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान शाहंशाहपुर के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को खेती में जैविक विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को वाराणसी एवं मिर्जापुर जनपद के ग्राम कादीचक एवं नक्कूपुर से आये 50 किसानों को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कांति बेहेरा के निर्देशन में किसानों के बीच खेतों में जैविक संसाधनों को बढ़ावा देने हेतु कार्यक्रम नियमित रूप से चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में खेतों में आयोजित जैविक संसाधन संवर्धन कार्यक्रम का संचालन संस्थान के कार्यकारी निदेशक एवं फसल उन्नयन विभाग के अध्यक्ष डॉ. नागेन्द्र रॉय के दिशा निर्देश में किया गया। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. सिंह ने किसानों को जैविक खेती में सूक्ष्मजीव अनुकल्पों के उपयोग के माध्यम से मिट्टी और पौधों दोनों के स्वास्थ्य को संवर्धित करने की आवश्यकता के बारे में बताया।डॉ सिंह ने सूक्ष्मजीव अनुकल्पों द्वारा टमाटर के पौधों और गेंहूँ के बीजों के शोधन का सजीव प्रदर्शन करते हुए किसानों को बताया कि वर्तमान सूक्ष्मजीव टेक्नोलॉजी से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक आदि मिट्टी में पोषित करने वाले पाउडर और तरल सूक्ष्मजीव अनुकल्प विकसित किये जा चुके हैं और किसानों को उपलब्ध हैं। नाइट्रोजन संश्लेषक एजोटोबैक्टर और फास्फेट विलायक जीवाणुओं का संस्थान द्वारा विकसित बैसिलस के जीवाणुओं के तरल कॉन्सोर्टिया को किसानों को वितरित भी किया गया।। उन्होंने बताया कि मिट्टी का जैविक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये गोबर की खाद के साथ घुलनशील जीवाणु कल्चर मिला कर डालने से खेत की गुणवत्ता में सुधार होता है और इससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाई जा सकती है। डॉ नागेंद्र राय ने कहा कि जीवाणु कल्चर से बीज एवं नर्सरी पौधों को उपचारित करना चाहिए। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुभजीत रॉय ने बताया कि रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जैविक बायों एजेंट एक सशक्त विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं जिससे मिट्टी एवं पौधों की सभी जरुरतों को लंबे समय तक पूरा किया जा सकता है तथा कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सभी किसानों को गेंहू (डी बीडब्लू-187) एवं जैविक कल्चर (बायो एन.पी.के. एवं फास्फेट घुलनशील जीवाणु कल्चर) बीसी 6 कॉन्सोर्टिया बीज एवं जड़ शोधन हेतु दिया गया।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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