एक झलक

समाज को छोड़कर चले जाना वैराग्य नहीं

25अक्टूबर2021

वैराग्य का मतलब दुनिया को छोड़ना कदापि नहीं अपितु दुनिया के लिये छोड़ना है। वैराग्य अर्थात एक ऐसी विचारधारा जब कोई व्यक्ति मैं और मेरे से ऊपर उठकर जीने लगता है।समाज को छोड़कर चले जाना वैराग्य नहीं है अपितु समाज को जोड़कर समाज के लिये जीना वैराग्य है।

किसी वस्तु का त्याग वैराग्य नहीं है अपितु किसी वस्तु के प्रति अनासक्ति वैराग्य है।जब किसी वस्तु को बाँटकर खाने का भाव किसी के मन में आ जाता है तो सच मानिए यही वैराग्य है। दूसरों के दुःख से दुखी होना और अपने सुख को बाँटने का भाव जिस दिन आपके मन में आने लग जाता है उसी दिन गृहस्थ में रहते हुए आप सच्चे वैरागी बन जाते हैं।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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