एक झलक

07 दिसम्बर 1879 – महान क्रांतिकारी यतींद्र नाथ मुखर्जी उर्फ बाघा जतीन की जन्म जयन्ती पर कोटिशः नमन

7दिसंबर 2023

अनुशीलन समिति और युगान्तर जैसे क्रांतिकारियों के संगठन से जुड़े जतीन की क्रांतिकारी गतिविधियों ने ब्रिटिश हुकूमत के छक्के छुड़ा दिये थे। 27 वर्ष की आयु में एक बार जंगल से गुजरते हुए उनकी मुठभेड़ एक बाघ (रॉयल बेन्गाल टाइगर) से हो गयी। उन्होंने बाघ को अपने हंसिये से मार गिराया था। इस घटना के बाद यतीन्द्रनाथ “बाघा जतीन” नाम से विख्यात हो गए थे।

09 सितंबर 1915 को पुलिस ने जतींद्र नाथ का गुप्त अड्डा ‘काली पोक्ष’ (कप्तिपोद) ढूंढ़ निकाला। यतींद्र बाबू साथियों के साथ वह जगह छोड़ने ही वाले थे कि राज महन्ती नमक अफसर ने गाँव के लोगों की मदद से उन्हें पकड़ने की कोशश की। बढ़ती भीड़ को तितरबितर करने के लिए यतींद्र नाथ ने गोली चला दी। राज महन्ती वहीं ढेर हो गया। इसी बीच बालासोर का जिला मजिस्ट्रेट किल्वी दल बल सहित वहाँ आ पहुंचा। यतीश नामक एक क्रांतिकारी बीमार था। जतींद्र उसे अकेला छोड़कर जाने को तैयार नहीं थे। चित्तप्रिय नामक क्रांतिकारी उनके साथ था। दोनों तरफ़ से गोलियाँ चली। चित्तप्रिय वहीं शहीद हो गये। यतींद्र नाथ का शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था। वह जमीन पर गिर कर ‘पानी-पानी’ चिल्ला रहे थे। मनोरंजन उन्हें उठा कर नदी की और ले जाने लगा किन्तु इसी बीच उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जतीन का शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था। अगले दिन 10 सितम्बर 1915 को भारत की आज़ादी के इस महान सिपाही ने अस्पताल में सदा के लिए आँखें मूँद लीं और अमरत्व प्राप्त किया। कोटि कोटि नमन।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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