एक झलक

15 जनवरी को मकर संक्रांति पर 77 साल बाद बन रहा है वरीयान योग

वाराणसी 8 जनवरी :सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। खरमास का समापन होगा और मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। ज्योतिष और काशी के पंचांगों के अनुसार इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर 77 सालों के बाद वरीयान योग बन रहा है। इसके साथ ही रवि योग का संयोग इसे बेहद खास बना रहा है। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी के अनुसार मकर संक्रांति पर पूरे दिन वरीयान योग रहेगा। वरीयान योग की शुरुआत 14 जनवरी को मध्यरात्रि में 2:40 बजे से होगी और यह योग 15 जनवरी की रात 11:10 बजे तक रहेगा। वरीयान योग में जमीन खरीदना, नई गाड़ी खरीदना, गृह प्रवेश, मुंडन, घर का निर्माण शुरू करना शुभ फल देता है। यह खास वरीयान योग 77 साल बाद बनने जा रहा है। रवि और वरीयान योग के कारण इस महापर्व का महत्व अधिक बढ़ जाएगा। इसके साथ ही पांच साल के बाद मकर संक्रांति का पर्व सोमवार को पड़ेगा। सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का दिन होने के कारण मकर संक्रांति का महत्व भी बढ़ जाएगा। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की उपासना, दान, गंगा स्नान और शनिदेव की पूजा करने से सूर्य और शनि से संबंधित तमाम तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। दरअसल सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। उसमें सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है। पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य देव भोर में 2:54 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 7:15 मिनट से शाम 6:21 मिनट तक रहेगा और महा पुण्यकाल सुबह 7:15 बजे से 9:06 बजे तक होगा। आचार्य शुभम मिश्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपनी कक्षा में परिवर्तन करके दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिस राशि में सूर्य का कक्ष परिवर्तन होता है, उसे संक्रांति कहा जाता है। इसके बाद से दिन बड़ा और रात्रि की अवधि कम हो जाती है। इस बार व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है। जाने-अनजाने जन्मों के किए गए पाप का भी क्षय हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान कर कंबल, घृत दान, तिल, लडू, वस्त्र आदि दान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन साधारण नदी भी गंगा नदी के समान हो जाती है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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