एक झलक

2023: कब रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत, जानें सही डेट और पूजा विधि

4 सितंबर 2023

भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा.

जन्माष्टमी व्रत पूजा विधि

जन्माष्टमी व्रत अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारण के बाद व्रत पूरी होती है.
जन्माष्टमी व्रत के एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए.

जन्माष्टमी व्रत वाले दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करें.
फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं.

अब इस सूतिका गृह में सुंदर सा बिछौना बिछाकर उस पर कलश स्थापित करें.
भगवान कृष्ण और माता देवकी जी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें.

देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें.
यह व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोला जाता है. इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता.

फलाहार के रूप में मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा और फल खा सकते हैं.
जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, कृष्णाष्टमी और जन्माष्टमी भी कहा जाता है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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