एक झलक

अधिवक्ता के अनुपस्थित रहने पर जमानत अर्जी खारिज करना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन-हाईकोर्ट

प्रयागराज 03मार्च :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता के अनुपस्थित रहने की वजह से किसी भी अभियुक्त की जमानत अर्जी को खारिज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने आजमगढ़ के मनीष पाठक की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए की।याची के खिलाफ आजमगढ़ के बरदाह थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि उसने एक एनकाउंटर के दौरान उसने पुलिस पर हमला किया था। वह जेल में है। याची के अधिवक्ता सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। ऐसा कई सुनवाई के दौरान पाया गया। पैरवी के लिए कोई आया ही नहीं। कोर्ट के सामने प्रश्न था कि अधिवक्ता के न आने पर जमानत अर्जी खारिज कर दिया जाए या फिर न्यायमित्र नियुक्त कर सुनवाई पूरी की जाए और गुण-दोष के आधार पर फैसला दिया जाए।कोर्ट ने न्यायमित्र की नियुक्ति कर मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने इस संबंध में ‘लांग वॉक टू फ्रीडम’ में नेल्सन मंडेला के उद्धृत शब्दों का उल्लेख किया। कोर्ट ने इसी तरह की टिप्पणी शाहजहांपुर के विपिन की जमानत अर्जी को भी स्वीकार करते हुए की है। विपिन के खिलाफ शाहजहांपुर के खुदागंज थाने में आबकारी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। विपिन मार्च 2021 से जेल में है। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान उसके अधिवक्ता भी पैरवी करने नहीं आ रहे थे। कोर्ट ने न्यायमित्र नियुक्त कर सुनवाई पूरी की और जमानत अर्जी मंजूर की।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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