एक झलक
ईश्वर सभी जीवों को वैसे ही नचाते हैं, जैसे सूत्रधार कठपुतलियों को मंच पर घुमाता है
9नवंबर2021
सबके हृदय में निवास करने वाले ईश्वर सभी जीवों को वैसे ही नचाते हैं, जैसे सूत्रधार कठपुतलियों को मंच पर घुमाता है। वस्तुतः वे ऐसे सूत्रधार हैं, जो ऋषि मुनि, ज्ञानी अज्ञानी, राजा रंक सभी को नचा रहे हैं। जब सभी उनके इशारे पर नाच रहे हैं तो सामान्य जीव की क्या बिसात वे सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म और महान से भी महान हैं।
जैसे लघु पक्षी आकाश के विस्तार को नहीं पा सकता, समुद्र की मछली सागर की गहराई तथा अथाह जलराशि को नहीं नाप सकती वैसे ही मनुष्य उस सूत्रधार को नहीं समझ सकता जो सब लोकों का एकमात्र स्वामी है।