चाणक्य नीति: इन 3 लोगों से रहना चाहिए दूर, इनका भला करने से व्यक्ति को मिलता है दुख
17मई2022
आमतौर पर यही माना जाता है कि दूसरों का भला करने से अपना भला होता है परंतु ऐसा नहीं है. चाणक्य ने ऐसे तीन लोगों के बारे में बताया है कि जिनका भला करने से व्यक्ति को दुख मिलने की संभावना अधिक होती है. आचार्य चाणक्य की इस नीति के अनुसार व्यक्ति को इन तीनों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
1. “दुष्टास्त्रीभरणेन” अर्थात दुष्ट स्वभाव की स्त्री का भरण-पोषण करना
वह स्त्री जो चरित्रहीन हो, कर्कशा हो, दुष्ट यानी बुरे स्वभाव वाली हो उसका भरण-पोषण करने वाले पुरुष को कभी भी सुख की प्राप्ति नहीं होती है. वह केवल आपके पास निहित स्वार्थ के लिए होती है. ऐसी स्त्री के संपर्क से सज्जन पुरुष को समाज और घर-परिवार में अपयश ही प्राप्त होता है. अत: आचार्य चाणक्य ने इस प्रकार की स्त्रियों के संपर्क से दूर रहने की सलाह दी है.
2.जो व्यक्ति सदैव अकारण दुखी रहता है उससे भी दूर रहना चाहिए
आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि जो लोग अकारण ही हमेशा दुखी रहते हैं और सुखों से संतुष्ट न होकर सदैव विलाप करते हैं. ऐसे व्यक्ति के साथ रहने पर हमें भी दुख की प्राप्ति होती है. अकारण दुखी रहने वाले लोग, दूसरों के सुख से ईर्ष्या करते हैं और उन्हें कोसते रहते हैं. इस प्रकार ईर्ष्या भाव रखने वाले और अकारण ही सदैव दुखी रहने वाले लोगों से दूर रहने में ही हमारी भलाई होती है
3.” मूर्खाशिष्योपदेशेन” अर्थात मूर्ख शिष्य को उपदेश देना
उपरोक्त श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि यदि कोई स्त्री या पुरुष मूर्ख है तो उसे ज्ञान या उपदेश नहीं देना चाहिए. आप अपने ज्ञान के माध्यम से मूर्ख की भलाई करना चाहते हैं, लेकिन मूर्ख व्यक्ति इस बात को समझता नहीं है. वह व्यक्ति व्यर्थ में तर्क-वितर्क करने लगता है. जिससे आपकी समय की बर्बादी के साथ मानसिक तनाव झेलना पड़ता है.