एक झलक

यूपी के इस मंदिर में देवता के रूप में होती है योद्धा की पूजा,काफी दूर से पूजा पाठ के लिए आते है अनुयायी

12फरवरी 2024

आज हम बात करेंगे एक ऐसे मंदिर की जिसमें एक योद्धा की पूजा देवता के रूप में होती है और दूर दराज से यहां पर लोग पूजा करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में बच्चों का मुंडन भी कराया जाता है साथ ही शादी के बाद नव दंपति इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यह पूरे विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमें जूता-चप्पल पहनकर अंधर जाने पर कोई रोक टोक नहीं है। माघ मास के चारों रविवार को यहां भव्य मेला भी लगता है । तो यह मंदिर कहां स्थित है और इसकी पौराणिक धार्मिक क्या मान्यता है इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते जाइए।

फिरोजाबाद जिले के पेंढत गांव में स्थित है

यह मंदिर एक योद्धा का है जिन्हें ‘जखई महाराज’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद के ब्लॉग में स्थित है जो कि मुस्तफाबाद-एका सड़क पर पेंढत गांव पर में है।

माघ मास के हर रविवार को यहां लगता है मेला

यहां पर इस मंदिर में माघ मास के चारों रविवार को विशाल मेला लगता है। लोग यहां पर दूर-दराज से आते हैं। नारियल चढ़कर यहां पूजा अर्चना करते हैं साथ ही बच्चों का मुंडन संस्कार कराया जाता है। नव दंपति भी यहां पर आते हैं।

कौन थे जखई महाराज,जानें

जखई महाराज’ कौन थे और उनकी पूजा क्यों होती है। दोस्तों जखई महाराज पृथ्वीराज चौहान के सेनापति थे। पृथ्वीराज चौहान ने जब संयोगिता का हरण किया था तब रास्ते में जयचंद उनका युद्ध हो गया और दोनों लड़के-लड़ते पेढत गांव तक आ गए।इस युद्ध में जयचंद की सेना ने जखई महाराज का सिर धड़ से अलग कर दिया था लेकिन उसके बाद भी जखई
महाराज का धड़ युद्ध करता रहा और इसी स्थान पर आकर गिरा था तभी से उनके अनुयाई यहां पूजा पाठ करते हैं और यहां मंदिर भी बनाया गया है। माघ मास के हर रविवार को आयोजित होने वाले इस मेले में उरई, जालौन, भिंड, मुरैना, शाहजहांपुर, बरेली, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी के अलावा और भी कई जिलों से श्रद्धालु यहां आते हैं पूजा अर्चना करते हैं।

इस तरह पहुंचें मंदिर

अगर आप भी यहां आना चाहते है तो फिरोजाबाद जिला मुख्यालय से 30-35 किलोमीटर दूर मुस्तफाबाद-एका मार्ग पर गांव पेंढत में यह मंदिर स्थित है। आप बस या अन्य निजी साधनों के जरिये यहां पहुंच सकते है।

नोट-यह लेख जनश्रुति और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है,इसको लेकर लेखक का कोई दावा नहीं है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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