पूर्वांचल

विद्युत विभाग:टेक्निकल ही जाने टेक्निकल का काम:ट्रिपिंग विहीन विद्युत आपूर्ति के लिए इंजीनियर ने बनाई कार्ययोजना: लगेंगे 15 सौ ट्रांसफार्मर

वाराणसी 2 मार्च :प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र को गर्मी से पहले ट्रिपिंग विहीन जोन बनाने के लिये मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल के तहत चयनित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक, तकनीकी ई०जितेंद्र नलवाया के द्वारा कार्य योजना बनाई गई।

निदेशक ई०नलवाया ने बताया कि गर्मी में निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए कई योजनाओं के तहत काम कराए जा रहे हैं योजना के तहत शीघ्र ही नए ट्रांसफार्मरों की खेप आ जाएगी। उन्हें 10 साल के अंदर मरम्मत हो चुके ट्रांसफार्मर की जगह लगाया।
सबसे पहले वितरण ट्रांसफार्मरों पर काम हो रहा है। इसमें 1500 आउटडेटेड वितरण ट्रांसफार्मरों को कंडम घोषित करते हुए उनकी जगह नए ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे। पीएम के संसदीय क्षेत्र को गर्मी से पहले ट्रिपिंग विहीन जोन बनाने का लक्ष्य है। जहां आवश्यकता होगी, वहां ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि की जाएगी। अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाकर ओवरलोडिंग की समस्या का समाधन किया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्र में पावर ट्रांसफॉर्मरों पर विशेष नजर

निदेशक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेंद्रों पर लगे पावर ट्रांसफार्मरों पर विशेष ध्यान दिया गया है। पावर ट्रांसफार्मरों की सुरक्षा में लगे उपकरण बदले जा रहे हैं। 33 और 11 केवी लाइनों पर ब्रेकर लगाए जा रहे हैं। लाइटनिंग अरेस्टेर, सीटी (करंट ट्रांसफार्मर) सही किए जा रहे हैं।

रिवैंप योजना के तहत ओवरलोडेड उपकेंद्र अंडरलोड हो रहे हैं

निदेशक ने बताया कि पीएम के संसदीय क्षेत्र को गर्मी से पहले ट्रिपिंग विहीन जोन बना दिया जाएगा। रिवैंप योजना के तहत ओवरलोडेड उपकेंद्र अंडरलोड हो रहे हैं। इसके लिए हाईटेंशन लाइन का निर्माण हो रहा है। पावर और वितरण ट्रांसफार्मरों के लिए फ्रेश ऑयल मंगाया गया है। वर्कशॉप पर भी विशेष नजर है। यहां से 24 घंटे में ट्रांसफार्मर सप्लाई की व्यवस्था चुस्त की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि उदारीकरण के तहत राज्य विद्युत परिषद के वर्ष-2000 में विघटन के पश्चात कारपोरेशन/निगमो में अध्यक्ष के पदों पर मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल के प्रतिबंधों के बावजूद ज्यादातर गैर तकनीकी ब्यूरोकेट्स की तैनाती रही जिसका खामियाजा विद्युत विभाग औऱ प्रदेश की जनता को उठाना पड़ता रहा।

गैर तकनीकी ब्यूरोकेट्स की तैनाती का विभागीय श्रमिक संधो औऱ कर्मचारी संगठनों के द्वारा विरोध भी सरकार के समक्ष दर्ज कराया जाता रहा। संघर्ष समिति के द्वारा भी किये गये आंदोलन में निगमो के अध्यक्षों के पदों पर मेमोरेंडम औऱ ऑर्टिकल के तहत नियुक्ति की मांग प्रमुख रूप से थी जिसपर सरकार ने आनन फानन में समझौता भी कर लिया जो गले की हड्डी बन गई संघर्ष समिति पिछले 1 वर्ष से समझौता लागू करने की बात कर रही है पर सरकार औऱ प्रबंधन इस पर चुप है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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