विद्युत विभाग:दोषी अभियंताओं पर बड़ा आदेश:अनाथालयों के बच्चों को खिलाना होगा खाना:साक्ष्य के तौर पर भेजना होगा भोजन खिलाने का वीडियो
वाराणसी 22 फरवरी:पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना आयुक्त द्वारा 4 अभियंताओ पर सूचना नहीं देने और राज्य सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करने पर अभियंताओ के खिलाफ बड़ा ओदश सुनाया गया है।
अधीक्षण अभियंता समेत चार अभियंताओं ने सूचना आयोग से मांगी माफी
वाराणासी क्षेत्र के विद्युत वितरण मंडल सर्किल (द्वितीय) के अधीक्षण अभियंता, अनिल वर्मा, अधिशासी अभियंता,आर०के० गौतम, मैदागिन उपकेंद्र के तत्कालीन सहायक अभियंता रवि आनंद,चौक उपकेंद्र के सहायक अभियंता सर्वेश यादव को राज्य सूचना आयोग में पेश होकर जहां मांफी मांगी। वहीं, दो अनाथालयों के बच्चों को भोजन कराना पड़ेगा
अनाथालयों के बच्चों को भी खाना खिलाने का यह पहला आदेश है
देश में इस तरह का पहला आदेश जारी किया गया है। इससे पहले किसी भी प्रकरण में एक साथ चार बिजली अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट नहीं जारी किया गया था। अनाथालयों के बच्चों को भी खाना खिलाने का यह पहला आदेश है।
24 फरवरी अनाथालयों में खाना खिलाने की तय की तिथि
अधिकारियो को सामूहिक रूप से 24 फरवरी को दो अनाथालय का चयन कर वहां के बच्चों को भोजन कराएंगे। प्रमाण के तौर पर उन्हें खाना खिलाने का विडियो और फोटो सूचना आयोग को भेजना होगा। यह संकेतिक दंड है इसके लिए 25 हजार रुपये की राशि तय की गई है।
उल्लेखनीय है कि मा०आयोग के आदेशों की अवहेलना करने वाले पूर्वान्चल के अधिकारी
1-अनिल वर्मा,अधीक्षण अभियंता, नगरीय मंडल-द्वितीय, वाराणासी।
2-आर०के०गौतम,अधिषासी अभियन्ता,नगरीय वितरण खंड-तृतीय।
3-सर्वेश यादव,सहायक अभियंता,चौक, मच्छोधरी।
4-रवि आनंद,सहायक अभियंता,लोहता,नगरीय वितरण खंड-सप्तम।
वाराणासी कज्जाकपुरा के निवासी उमा शंकर यादव को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना न देने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की, मा०आयोग के आदेशों की लगातार अवहेलना औऱ सूचना न देने पर औऱ आयोग के समक्ष हाज़िर न होने के कारण सूचना आयुक्त श्री उमेश कुमार उत्प्रेती द्वारा गिरफ़्तारी वारंट जारी किया गया। पूर्वान्चल निगम के अधिकारियो ने उपभोक्ता को विद्युत बिल 2 लाख 24 हजार 7 सौ 41 हजार बकाया बिल न जमा करने पर उपभोक्ता को आर०सी०जारी कर दी जिसमे संयोजन संख्या – 184352100 का विद्युत संयोजन वर्ष 1911 दिखाया गया।
मा०आयोग ने पूर्वान्चल के अधिकारियो से जानना चाहा कि
1- वर्ष 1911 में क्या उपभोक्ता को विद्युत कनेक्शन दिया जा रहा था?
2-वर्ष -1911 में विद्युत मूल्य क्या था एव गणना किस आधार पर की जाती थी?
3-वर्ष-1911 में कौन सी संस्था वाराणासी में विद्युत आपूर्ति करती थी?
मा०आयोग के प्रश्नों का संतोषजनक जवाब पूर्वान्चल के अधिकारियो ने द्वारा नही दिया गया। मा०आयोग ने संबंधित अधिकारियों को कई बार नोटिस भी जारी किये परन्तु अधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित नही हुऐ।
उपभोक्ता को 2.24 लाख रुपये की जगह अब 3900 रुपये देना होगा बिल
इसके अलावा काटी गई 2.24 लाख रुपये की आरसी को वापस ले लिया गया है। आरसी से पहले बनाये गए दो लाख रुपये की बिजली बिल को संशोधित कर 3900 रुपये कर दिया गया है। राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने 20 फरवरी को सुनवाई करने के बाद 21 फरवरी को यह आदेश सुनाया है।
ऐसे आया फैसला
राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष बीते वर्ष दस फरवरी को फर्जी आरसी भेजने का मामला उठाया था। आरसी पर एक जनवरी 1911 (आजादी से पहले) की तारीख में देख सूचना आयोग ने सख्ती दिखाई। आवेदन मिलते ही उन्होंने एक्सईएन को आयोग में तलब होने की नोटिस भेजी। अंतिम नोटिस 17 जनवरी को भजी। उपस्थित नहीं होने उन्होंने 10 फरवरी को चार अफसरों को 20 फरवरी को पेश होने का वारंट जारी किया। अफसरों ने 19 फरवरी लाटभैरव पुलिस चौकी पर पहुंच कर 10-10 हजार रुपये का मुचलका भरना पड़ता था।