पूर्वांचल

श्री राम कथा-माया वही जो भेद उत्पन्न करें – मुरलीधर जी महाराज

वाराणसी 29 अगस्त :जो भक्त प्रभु के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है तो भगवान भी उसके लिए अपने नियम बदल लेते हैं। भगवान अपने सेवकों के प्रति अलग भाव रखते हैं और यह माया का प्रभाव नहीं बल्कि भक्त के प्रति ईश्वर का प्रेम है। उक्त उद्गार मंगलवार को दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ मणि मंदिर के प्रांगण में चल रही श्री राम कथा के ग्यारहवें एवं समापन दिवस के अवसर पर जोधपुर, राजस्थान से पधारे प्रखर मानस वक्ता संत मुरलीधर जी महाराज ने व्यक्त किया। करपात्र प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित इस कथा के विराम दिवस पर मुरलीधर जी ने माया के प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि माया वही है जो भेद दृष्टि उत्पन्न करती है, हालांकि भगवान और सद्गुरु भी भेद करते हैं, वे अपने निष्काम भाव से आने वाले भक्तों के प्रति भेद रखते हैं परंतु वह भेद माया का भेद नहीं अपितु प्रेम का भाव है। उन्होंने कहा कि भगवान जब भी मानव स्वरूप में प्रकट हुए तो उन्होंने अपनी लीलाओं से सबको भ्रमित रखा, उनकी लीला में माया का आवरण होता है जिससे उन्हें जानने वाले भी भ्रमित हो जाते है। त्रेतायुग, द्वापर युग में प्रभु की लीलाएं इसी स्वरूप में हुई जिससे उनको जानने वाले भी भ्रमित हो गए। जिस माँ कौशल्या की कोख से प्रभु श्री राम का प्रकट हुए वे माँ कौशल्या भी भ्रमित हो गई जबकि वे यह जानती थी की सृष्टि का उद्धार करने के लिए भगवान ने उनकी कोख से जन्म लिया है। इसी प्रकार इंद्रपुत्र जयंत थी प्रभु की लीला देख भ्रमित हो गया और माया के आवरण में फस गया।
मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि भगवान की माया अपरंपार है। यह माया का ही प्रभाव है जिसमें लोग जगत को महत्व देते हैं ना कि उसे बनाने वाले जगदीश्वर को। उन्होंने कहा कि काशी में कथा कहना या सुनना दोनों ही बड़े भाग्य से प्राप्त होता है, स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्मसंघ में कथा कहने से असीम ऊर्जा की प्राप्ति होती है। कथा प्रसंग में मुरलीधर जी महाराज ने संपूर्ण राम कथा प्रसंग का श्रवण कर कर कथा को विश्राम दिया।

इस अवसर पर मानस प्रेमियों को आशीर्वचन देते हुए धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि इस मानव शरीर से जब जन्म- जन्मांतर, कल्प – कल्पांतर तक पुण्य कर्म अर्जित होता है तब जाकर राम कथा श्रवण करने का फल प्राप्त होता है। मुरलीधर जी महाराज भारत मां के सच्चे सपूत हैं जिनके माध्यम से लाखों की संख्या में लोग धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं। एक सच्चा संत वही है जो स्वयं के लिए नहीं बल्कि सर्व कल्याण के लिए अवतार लेता है। धर्मसंघ के महामंत्री पंडित जगजीतन पाण्डेय ने कहा कि कलिकाल में भी श्री राम कथा और मानस की चौपाइयां श्रवण करने का अवसर मिल रहा है यह हमारा परम सौभाग्य है। संत मुरलीधर जी महाराज के माध्यम से मानस का प्रचार पूरे विश्व में प्रसारित हो रहा है और सनातन धर्मध्वजा लहरा रही है यह हमारे लिए गौरव का बोध कराती है।
कथा के समापन पर यजमानों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर आरती उतारी गई।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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