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राज्यपालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

दिल्ली 24 नवम्बर ::सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप में वास्तविक शक्ति जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों में निहित होती है, जो राज्यों और केंद्र दोनों में सरकारों में राज्य विधानमंडल और संसद के सदस्य शामिल होते हैं।’ शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्यपाल राज्य के निर्वाचित प्रमुख नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्य के नाममात्र के प्रमुख हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कैबिनेट स्वरूप में सरकार के सदस्य विधायिका के प्रति जवाबदेह होते हैं। उनकी जांच के अधीन होते हैं।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ कहा है कि ‘राज्य के एक अनिर्वाचित प्रमुख के रूप में राज्यपाल को कुछ संवैधानिक शक्तियां सौंपी गई हैं, लेकिन इन शक्तियों का इस्तेमाल राज्य विधानसभाओं द्वारा कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल करने के लिए नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने साफ किया कि राज्यपाल विधेयक को मंजूरी रोककर विधानमंडल को वीटो नहीं कर सकते और मंजूरी देने से इनकार करने पर विधेयक को विधानसभा को वापस लौटाना होगा। पीठ ने पंजाब सरकार की याचिका पर यह फैसला दिया है। याचिका में राज्यपाल पर विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया गया था। पीठ ने 10 नवंबर को ही इस मामले में फैसला दिया था, लेकिन फैसले की प्रति अब मुहैया कराई गई है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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